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मंदिर के बारे में

चारभुजा नाथ मन्दिर भक्तों के लिये आकर्षण का केन्द्र

मन्दिर का निर्माण वास्तुकला को ध्यान में रख कर किया गया है। मन्दिर की सडक से ऊँचाई लगभग 70 फीट है इससे सड़क पर खड़े होकर भी भगवान श्री के दर्शन किए जा सकते हैं तथा मन्दिर का समग्र रूप से निहारा जा सकता है। सड़क से मन्दिर पर जाने के लिए सुविधाजनक सीढ़ियों का निर्माण किया हुआ हैं। निज मन्दिर के बाहर दो विशाल हाथी, कंवरपदा का महल, परिक्रमाओं में बनी गणेश जी, हनुमान जी, भैरूजी की मूर्तियॉँ- नन्‍दी पर सवार शिव परिवार मयूर पर सवार भगवान कार्तिकेय, सगस जी महाराज दुर्गामाता का विराट स्वरूप एवं नंगारखाना अनूठा भव्य एवं दर्शनीय है।

कंवरपदा महल की दीवारों पर भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला बहुत ही भव्य कलात्मक एवं स्वर्ण नककासी से बनी हुई है। इस महल को माहेश्वरी समाज भीलवाड़ा ने बनवाया। इस मन्दिर के ऊपर आसमान को निहारता करता ध्वजादंड दया और श्रद्धा का प्रतीक है जिसे प्रणाम करके भक्तजन सुख शान्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते है।

मंदिर का इतिहास

इतिहास

श्री चारभुजा नाथ की प्राण प्रतिष्ठा दिनांक 09-05-73, बुधवार मिति बैसाख शुक्ला तृतीया वि. संवत्‌ 788 को हुई। मेवाड़ के मुख्य दिवान श्री सदाराम जी देवपुरा ने मन्दिर का निर्माण कराकर 26 वर्षो तक अपनी देखरेख में सेवा पूजा व मन्दिर की व्यवस्था करने के उपरान्त मन्दिर तथा उससे सम्बन्धित सभी सम्पदाओं को दिनांक 02-08-757, मंगलवार (श्रावण कृष्णा तृतीया संवत 84) को माहेश्वरी समाज भीलवाड़ा के चार प्रमुख पंचों को सुपुर्द कर दिया। लगभग सौ वर्ष पश्चात 93-95 में श्री केशवराम जी झंवर ने मन्दिर के सामने एक भव्य एवं 25 फीट ऊंचा नगार खाने का निर्माण कराया जहां उत्सवों एवं आयोजनों पर नगार एवं वाद्य बाजक बैठकर मधुर एवं सुरीली बाद्य अर्चना से भगवान की पूजा अर्चना करते है।

धार्मिक महत्व

श्री चारभुजानाथ 3 फीट की मूर्ति बड़ी मनोहारी, आकर्षक एवं चमत्कारी है, यह सभी सनातन धर्मावलम्बियों का आस्था का केन्द्र है सभी धर्म जाति समुदाय के सैकड़ों व्यक्ति प्रतिदिन पूर्ण श्रद्धा से मंदिर में दर्शन एवं उत्सवों में भाग लेते हैं। अनेक परिवार ऐसे हैं जो बिना भगवान के दर्शन किये अन्न जल भी ग्रहण नहीं करते, यह उनकी भगवान के प्रति आस्था का प्रमाण है। इसी चारभुजा मन्दिर की परिक्रमा के पास स्थित मंदिर की कुई के पास रह कर आचार्य 008 श्री रामचरण जी महाराज ने लम्बे समय तक तपस्या एवं राम स्मरण किया। मन्दिर अद्भुत कलाकृतियों से संगमरमर से बना विहंगम छवि के लिए मेवाड़ ही नही पूरे राजस्थान में विख्यात है।

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मन्दिर गेट पर विशाल डोम लगाया गया

वर्षा के दिनों में चारभुजा नाथ के भक्तों के दर्शन के लिए खड़े रहने हेतु मन्दिर गेट पर ट्रस्ट द्वारा विशाल डोम लगाया गया। डोम लगाने के बाद भक्तों के मन्दिर में आने जाने में बारिश व धुप में ठहराव की सुविधा हुई है।

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छप्पन भोग और अन्य सेवा

माहेश्वरी समाजजन के द्वारा श्री चारभुजा नाथ को विभिन्‍न प्रकार के प्रति दिन लगने वाले राजभोग व छप्पनभोग प्रसाद और अभिषेक माहेश्वरी समाज जनों द्वारा भी लगाने पर ट्रस्ट द्वारा निम्न दरों से चारभुजा नाथ की सेवा का आनंद और सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं।