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इस मन्दिर को माहेश्वरी समाज भीलवाड़ा ने बनवाया। इस मन्दिर के ऊपर आसमान को निहारता करता ध्वजादंड दया और श्रद्धा का प्रतीक है जिसे प्रणाम करके भक्तजन सुख शान्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते है।
श्री चारभुजा जी मन्दिर
श्री चारभुजा नाथ की प्राण प्रतिष्ठा दिनांक 09-05-73, बुधवार मिति बैसाख शुक्ला तृतीया वि. संवत् 788 को हुई। मेवाड़ के मुख्य दिवान श्री सदाराम जी देवपुरा ने मन्दिर का निर्माण कराकर 26 वर्षो तक अपनी देखरेख में सेवा पूजा व मन्दिर की व्यवस्था करने के उपरान्त मन्दिर तथा उससे सम्बन्धित सभी सम्पदाओं को दिनांक 02-08-757, मंगलवार (श्रावण कृष्णा तृतीया संवत 84) को माहेश्वरी समाज भीलवाड़ा के चार प्रमुख पंचों को सुपुर्द कर दिया। लगभग सौ वर्ष पश्चात 93-95 में श्री केशवराम जी झंवर ने मन्दिर के सामने एक भव्य एवं 25 फीट ऊंचा नगार खाने का निर्माण कराया जहां उत्सवों एवं आयोजनों पर नगार एवं वाद्य बाजक बैठकर मधुर एवं सुरीली बाद्य अर्चना से भगवान की पूजा अर्चना करते है।
सेवाएं
शीतकालीन(दीपावली से होली)
मंगला दर्शन - प्रातः 4:00 बजे
मंगला आरती - प्रातः 5:00 बजे
श्रृंगार आरती - प्रातः 9:00 बजे
भोग आरती - प्रातः 11:00 बजे
दोपहर विश्राम - प्रातः 12:30 से 4:00 बजे तक
संध्या आरती - सायं 6:30 बजे
शयन आरती - सायं 8:30 बजे
ग्रीष्मकालीन(होली से दीपावली)
संध्या आरती - सायं 7:30 बजे
शयन आरती - सायं 9:30 बजे
शिखर पर ध्वजा चढ़ाते हुए श्री चारभुजानाथ के भक्तगण
भेट से प्राप्त चांदी के हाथी चरण पादुका , घंटी
फुलडोल महोत्सव